वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है कुछ भी कीजे
वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है कुछ भी कीजे
याद रह जाती है हल्की सी चुभन की हद तक
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याद रह जाती है हल्की सी चुभन की हद तक
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