इस्त्री करते हुए
वो मेरी शर्ट जलने पर
तिरा बे-साख़्ता हँसना
मुझे जब याद आता है
तो जानाँ ऐसे लगता है
तू मेरे पास बैठी है
मुझे महसूस होती है
मगर मैं छू नहीं सकता
तिरी आवाज़ कानों में
अभी तक गूँज उठती है
वो मेरी शर्ट जलने पर
तिरा बे-साख़्ता हँसना
मुझे जब याद आता है
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