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सितारे सब मिरे महताब मेरे - इमरान शनावर कविता - Darsaal

सितारे सब मिरे महताब मेरे

सितारे सब मिरे महताब मेरे

अभी मत टूटना ऐ ख़्वाब मेरे

अभी उड़ना है मुझ को आसमाँ तक

हुए जाते हैं पर बेताब मेरे

मैं थक कर गिर गया टूटा नहीं हूँ

बहुत मज़बूत हैं आ'साब मेरे

तिरे आने पे भी बाद-ए-बहारी

गुलिस्ताँ क्यूँ नहीं शादाब मेरे

बहुत ही शाद रहता था मैं जिन में

वो लम्हे हो गए नायाब मेरे

अभी आँखों में तुग़्यानी नहीं है

अभी आए नहीं सैलाब मेरे

समुंदर में हुआ तूफ़ान बरपा

सफ़ीने आए ज़ेर-ए-आब मेरे

तू अब के भी नहीं डूबा 'शनावर'

बहुत हैरान हैं अहबाब मेरे

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