Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_85of9v5o0t1s0m319o5kh3kua5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सूदी बेगम - इमरान शमशाद कविता - Darsaal

सूदी बेगम

कौन है सूदी बेगम

उस को जानते हो तुम

वो जिस के क़ब्ज़े में थे रज़िया के कंगन

जिस के हाथों में थी रज़िया की हर आती जाती साँस की डोर

जिस के पास पड़े थे उस के गिरवी ख़्वाब

रज़िया की शादी सर पर थी

और दिल में था

सूदी बेगम की सूदी आँखों का ख़ौफ़

सूदी बेगम के चंगुल से

सूद-ओ-ज़ियाँ के इस जंगल से

रज़िया भागना चाहती थी

वर्ना इक दिन सूदी बेगम

उस के इक इक पल का सोना खा जाएगी

और उस के बालों में चाँदी आ जाएगी

रज़िया के अंदेशे उस को डसते रहते

रातों को उठ उठ कर इस पर हँसते रहते

बे-कल बे-कल रोती रहती

रज़िया भल-भल रोती रहती

उस के होंटों और गालों से हिजरत कर गई सारी लाली

रोते रोते इक दिन रज़िया की आँखें भी हो गईं ख़ाली

ख़ाली आँगन ख़ाली बर्तन

और अंदर के ख़ाली-पन से आजिज़ आ कर

रोज़ रोज़ की इस उलझन से आजिज़ आ कर

उस ने इक तरकीब निकाली

गुल्लक तोड़ा

सिक्के जोड़े

चप्पल पहनी

मजबूरी की चादर ओढ़ी

घर से निकली

रिक्शा पकड़ा

और इक बैंक के दरवाज़े पे जा उतरी वो

बैंक में पहला क़दम रखा तो उस की चप्पल

मोटे से क़ालीन में धँस गई

रज़िया फिर ग़ुंडों में फँस गई

(921) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sudi Begam In Hindi By Famous Poet Imran Shamshad. Sudi Begam is written by Imran Shamshad. Complete Poem Sudi Begam in Hindi by Imran Shamshad. Download free Sudi Begam Poem for Youth in PDF. Sudi Begam is a Poem on Inspiration for young students. Share Sudi Begam with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.