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ज़िंदगी में जो ये रवानी है - इमरान शमशाद कविता - Darsaal

ज़िंदगी में जो ये रवानी है

ज़िंदगी में जो ये रवानी है

एक किरदार की कहानी है

मैं ने उस से कहा ये आँसू हैं

उस ने मुझ से कहा ये पानी है

ताज़ा ताज़ा है तेरा ग़म 'इमरान'

ये कहानी बड़ी पुरानी है

एक तो सर-फिरी हवा की चाल

और कश्ती भी बादबानी है

ज़ख़्म जिस वक़्त की अमानत था

दर्द उस दौर की निशानी है

शेर जिस को समझ रहे हैं जनाब

ये हक़ीक़त में बे-ज़बानी है

फिर वही है सवाल-ए-कौन-ओ-मकाँ

फिर वही मेरी बे-मकानी है

ऐ ख़ुदा ये वजूद का झगड़ा

ख़ाक का है कि आसमानी है

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