ज़िंदगी में जो ये रवानी है
ज़िंदगी में जो ये रवानी है
एक किरदार की कहानी है
मैं ने उस से कहा ये आँसू हैं
उस ने मुझ से कहा ये पानी है
ताज़ा ताज़ा है तेरा ग़म 'इमरान'
ये कहानी बड़ी पुरानी है
एक तो सर-फिरी हवा की चाल
और कश्ती भी बादबानी है
ज़ख़्म जिस वक़्त की अमानत था
दर्द उस दौर की निशानी है
शेर जिस को समझ रहे हैं जनाब
ये हक़ीक़त में बे-ज़बानी है
फिर वही है सवाल-ए-कौन-ओ-मकाँ
फिर वही मेरी बे-मकानी है
ऐ ख़ुदा ये वजूद का झगड़ा
ख़ाक का है कि आसमानी है
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