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तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम - इमरान शमशाद कविता - Darsaal

तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

ऐ मेरे दिल किसी को क्या मालूम

तेरा रस्ता जुदा ही है सब से

तेरी मंज़िल किसी को क्या मालूम

जो किसी दिल में चल रही है अभी

ऐसी महफ़िल किसी को क्या मालूम

दूसरों के किनारे जानते हैं

अपना साहिल किसी को क्या मालूम

ये रियाज़ी का फ़ार्मूला नहीं

क़ीमत-ए-दिल किसी को क्या मालूम

कितना आसान हो गया हूँ मैं

मेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

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