Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_de5148e0108253fa13af13df803e966d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं - इमरान हुसैन आज़ाद कविता - Darsaal

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

ऐ इश्क़ इस मक़ाम पे तो आ गया हूँ मैं

डर है कि दम न तोड़ दूँ घुट घुट के एक दिन

बरसों से अपने जिस्म के अंदर पड़ा हूँ मैं

तूफ़ाँ में जो न बुझ सके होंगे वो और लोग

आँधी से इख़्तिलाफ़ में अक्सर बुझा हूँ मैं

लगता है लौट जाएगी मायूस नींद फिर

मसरूफ़ उस की यादों में बैठा हुआ हूँ मैं

इन हादसों से कह दे ज़रा सब्र तो करें

ऐ ज़ीस्त तेरी बज़्म में बिल्कुल नया हूँ मैं

किरदार आधे मर चुके आधे पलट गए

इस वक़्त क्यूँ फ़साने में लाया गया हूँ मैं

रौशन करो मुझे कि ज़रा तीरगी हटे

बेकार कब से ताक़ पे रक्खा हुआ हूँ मैं

आ आ के क्यूँ ठहरती हैं मुझ में ही ख़्वाहिशें

होटल हूँ या सराए हूँ बतलाओ क्या हूँ मैं

सौ बार इम्तिहान ज़रूरी है क्या मिरा

काफ़ी नहीं है कह दिया तुझ से तिरा हूँ मैं

कुछ तो चमक दिखे मिरे अशआ'र में मुझे

मुद्दत से शायरी में लहू थूकता हूँ मैं

(828) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main In Hindi By Famous Poet Imran Husain Azad. Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main is written by Imran Husain Azad. Complete Poem Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main in Hindi by Imran Husain Azad. Download free Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main Poem for Youth in PDF. Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Diwangi Mein Apna Pata Puchhta Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.