Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6cb383f9b53c3315106a0dddbc9cc06c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बात दिल को मिरे लगी नहीं है - इमरान आमी कविता - Darsaal

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

मेरे भाई ये शाएरी नहीं है

जानती है मिरे चराग़ की लौ

कौन से घर में रौशनी नहीं है

वो तअल्लुक़ भी मुस्तक़िल नहीं था

ये मोहब्बत भी दाइमी नहीं है

मैं जो क़िस्सा सुना चुका तो खुला

कोई दीवार बोलती नहीं है

देखने वाली आँख भी तो हो

कौन दरिया में जल-परी नहीं है

बुज़दिला छुप के वार करता है

तुझ को तहज़ीब-ए-दुश्मनी नहीं है

क्या करूँ इस बहिश्त को जिस में

एक बोतल शराब की नहीं है

तुझ से मिलना भी है नहीं भी मुझे

और तबीअत उलझ रही नहीं है

कौन से शहर के चराग़ हो तुम

तुम में दम भर की रौशनी नहीं है

जिस का चर्चा है शहर में 'आमी'

वो ग़ज़ल तो अभी कही नहीं है

(1486) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai In Hindi By Famous Poet Imran Aami. Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai is written by Imran Aami. Complete Poem Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai in Hindi by Imran Aami. Download free Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai Poem for Youth in PDF. Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Baat Dil Ko Mere Lagi Nahin Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.