जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
लोग तेरा कलाम लेते हैं
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
कब ग़ैर हुआ महव तिरी जल्वागरी का
तड़प तड़प के तमन्ना में करवटें बदलीं
मर ही कर उट्ठेंगे तेरे दर से हम
गुलशन में कौन बुलबुल-ए-नालाँ को दे पनाह
अपने दर से जो उठाते हैं हमें
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या
साथ दुनिया का नहीं तालिब-ए-दुनिया देते
अब जहाँ पर है शैख़ की मस्जिद