वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ
वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ
वो मय-ख़्वार ग़ैरों में है ख़्वार मैं हूँ
नहीं इश्क़ से ज़र्द ज़रदार मैं हूँ
अगर है वो यूसुफ़ ख़रीदार मैं हूँ
तमन्ना है साक़ी कभी बज़्म-ए-मय में
वो सरशार हो और हुश्यार मैं हूँ
हुई जम्अ' बे-दर्दी-ओ-दर्दमंदी
दिल-आज़ार वो है सितमगार मैं हूँ
वो करता है बातें मैं करता हूँ आहें
गुहर-बार वो है शरर-बार मैं हूँ
वही बोलता है जो मैं बोलता हूँ
अगर वो है बुलबुल तो मिन्क़ार मैं हूँ
दिगर-गूँ है हर आन वज़-ए-मोहब्बत
कभी ग़ैर मैं हूँ कभी यार मैं हूँ
कहा हज़रत-ए-'दर्द' ने ख़ूब 'नासिख़'
ये ज़ुल्फ़-ए-बुताँ का गिरफ़्तार मैं हूँ
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