Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_dc0e1c0955d800502b954447cb3ac2d7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जान हम तुझ पे दिया करते हैं - इमाम बख़्श नासिख़ कविता - Darsaal

जान हम तुझ पे दिया करते हैं

जान हम तुझ पे दिया करते हैं

नाम तेरा ही लिया करते हैं

चाक करने के लिए ऐ नासेह

हम गरेबान सिया करते हैं

साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त

मय-ए-दीदार पिया करते हैं

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम

मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

संग-ए-असवद भी है भारी पत्थर

लोग जो चूम लिया करते हैं

कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें

आज ज़र जो कि दिया करते हैं

दफ़्न महबूब जहाँ हैं 'नासिख़'

क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं

(1305) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain In Hindi By Famous Poet Imam Bakhsh Nasikh. Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain is written by Imam Bakhsh Nasikh. Complete Poem Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain in Hindi by Imam Bakhsh Nasikh. Download free Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain Poem for Youth in PDF. Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Jaan Hum Tujh Pe Diya Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.