Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aa9412a256211359fa7ed758243b5278, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं - इमाम बख़्श नासिख़ कविता - Darsaal

चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं

चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं

दाग़ हैं ये गुल नहीं नासूर हैं अख़्तर नहीं

सर रहे या जाए कुछ हम मय-कशों को डर नहीं

कौन सा मीना-ए-मय ऐ मोहतसिब बे-सर नहीं

वो बुत-ए-शीरीं-अदा करता है मुझ को संगसार

ये शकर-पारे बरसते हैं जुनूँ पत्थर नहीं

हो रहा है एक आलम तेरे अबरू पर निसार

कौन गर्दन है जहाँ में जो तह-ए-ख़ंजर नहीं

दम निकलने पर जो आता है नहीं रुकता है फिर

देख लो क़स्र-ए-हबाब ऐ अहल-ए-ग़फ़लत दर नहीं

आदमी तो क्या वो कहता है निशान-ए-पा से भी

क्यूँ पड़ा है मेरे कूचे में तिरा क्या घर नहीं

ऐ तसव्वुर क्यूँ बुतों को जमा करता है यहाँ

दिल मिरा काबा है कुछ बुत-ख़ाना-ए-आज़र नहीं

शिकवा जो बे-नौकरी का करते हैं नादान हैं

आप आक़ा है किसी का जो कोई नौकर नहीं

है ख़राबात-ए-जहाँ में भी वो साक़ी से नुफ़ूर

जो कि ऐ 'नासिख़' ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर नहीं

(923) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin In Hindi By Famous Poet Imam Bakhsh Nasikh. Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin is written by Imam Bakhsh Nasikh. Complete Poem Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin in Hindi by Imam Bakhsh Nasikh. Download free Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin Poem for Youth in PDF. Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Chain Duniya Mein Zamin Se Ta-falak Dam Bhar Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.