गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें
गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें
आओ मिल कर प्यार की बातें करें
बेवफ़ाई जिस का है तर्ज़-ए-अमल
बस उसी दिलदार की बातें करें
आज-कल पैदल सफ़र दुश्वार है
ख़ूबसूरत कार की बातें करें
ले के निकलें इक मोबाइल हाथ में
अब तो बस बे-तार की बातें करें
जब समझ में कुछ न आए आप को
बैठ कर बे-कार की बातें करें
बात काँटों की तरह जिस की चुभे
क्यूँ उसी गुलनार की बातें करें
सुल्ह पर जब दोनों आमादा हुए
फिर ये क्यूँ तलवार की बातें करें
जो यहाँ दावा बड़े वादे करे
बस उसी सरकार की बातें करें
क्यूँ हो 'आज़म' एक महबूबा की बात
और भी दो-चार की बातें करें
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