Heart Broken Poetry of Imam Azam
नाम | इमाम अाज़म |
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अंग्रेज़ी नाम | Imam Azam |
जन्म की तारीख | 1960 |
जन्म स्थान | Kolkatta |
उन के रुख़्सत का वो लम्हा मुझे यूँ लगता है
किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा
तुम्हारे जाते ही हर चश्म-ए-तर को देखते हैं
टिमटिमाता हुआ मंदिर का दिया हो जैसे
सूरज की मीज़ान लिए हम, वो थे बर्फ़ की बाट लिए
शहर में ओले पड़े हैं सर सलामत है कहाँ
क़द बढ़ाने के लिए बौनों की बस्ती में चलो
मौसम सूखा सूखा सा था लेकिन ये क्या बात हुई
किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा
जो मज़े आज तिरे ग़म के अज़ाबों में मिले
जाने वाले इतना बता दो फिर तुम कब तक आओगे
गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें
गर्द-ओ-ग़ुबार धूप के आँचल पे छा गए