समझाने वालों ने कितना उन को समझाया लोगो
समझाने वालों ने कितना उन को समझाया लोगो
फिर भी धोका दिल वालों ने हिर-फिर कर खाया लोगो
नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर दुखी रही काया लोगो
वीराने में चैन से सोया पा के घना साया लोगो
राजा प्रजा ज्ञानी मूरख जग से ख़ाली हाथ गए
किस को ख़बर किस ने क्या खोया किस ने क्या पाया लोगो
फ़ासले की और वक़्त दूरी दिल का क़ुर्ब मिटा न सका
कैसा कैसा प्यारा चेहरा ध्यान में धुँदलाया लोगो
कहाँ तलक है उस का ताना-बाना ये मालूम नहीं
साँस की इस उलझी डोरी को किस ने सुलझाया लोगो
इन आँखों ने जो कुछ देखा कौन उसे सच मानेगा
वक़्त की धूप में चाँद सा चेहरा कैसे सुनो लाया लोगो
दुनिया-दारी का हर पहलू बरत के देखा 'इश्क़ी' ने
गाँठ गिरह की खो कर उस ने सब कुछ भर पाया लोगो
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