Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ea9c1b6565c397d264854e3200dd4b59, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा - इलियास बाबर आवान कविता - Darsaal

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

रेशा-ए-अश्क पे टाँके हुए हम बर्ग-ए-मलाल

क़र्या-ए-वहशत ओ उफ़्ताद में हैं ख़ेमा-ब-दोश

अपने हिस्से की जहाँगीरी उठा लाए हैं

क्या ख़बर कौन नज़र तुर्फ़ा मसीहाई हो

कौन सा ज़हर तिरे हिज्र का तिरयाक़ बने

बस इसी कार-ए-फ़राग़त पे है मामूर ये दिल

जिस पे खुलते नहीं असरार-ए-तअ'ल्लुक़ न मिज़ाज

अपनी ही धन में सुबुक-ख़ेज़ चला जाता है

एक अंदेशा-ए-ईजाज़-ए-तलातुम की तरफ़

जिस की तहज़ीब पे तहरीर हैं नामे तेरे

साहिरा देख कभी ज़ीस्त-मिज़ाजों की तरफ़

देख क्या रंग तिरे ख़ाक-नशीनों का हुआ

पर तुझे फ़ुर्सत-ए-नज़्ज़ारा-ए-ख़ाशाक नहीं

तेरी आँखों में फ़रोज़ाँ है सितारों का वफ़ूर

हम कि बे-नूर चराग़ों के ख़राशीदा बदन

अपनी ही लौ की सख़ावत से जले बैठे हैं

हम जहाँगीर-मिज़ाजों में लुटे बैठे हैं

(1017) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zist-mizajon Ka Nauha In Hindi By Famous Poet Iliyas Babar Aawan. Zist-mizajon Ka Nauha is written by Iliyas Babar Aawan. Complete Poem Zist-mizajon Ka Nauha in Hindi by Iliyas Babar Aawan. Download free Zist-mizajon Ka Nauha Poem for Youth in PDF. Zist-mizajon Ka Nauha is a Poem on Inspiration for young students. Share Zist-mizajon Ka Nauha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.