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फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने दे - इलियास बाबर आवान कविता - Darsaal

फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने दे

फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने दे

मेरा कमरा, मेरा कमरा रहने दे

यार ये चार क़दम की क्या हमराही है!

थोड़ी देर तो दिल को चलता रहने दे

अब भी उस से तितली मिलने आती है

बॉलकनी में टूटा गमला रहने दे

काट दे चाहे मेरी सारी शाख़ों को

जिस पर झूल रहा है झूला, रहने दे

वो तो दिल था लेकिन ये तो बाग़ है यार

पेड़ पे मेरा नाम तो लिक्खा रहने दे

मुझ को आज़ादी का कुछ एहसास तो हो

इस पिंजरे में एक परिंदा रहने दे

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