दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(943) Peoples Rate This
दिल में कुछ भी तो न रह जाएगा
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो
किस किस को बताऊँ कि मैं बुज़दिल नहीं 'राग़िब'
तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं
तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना
ये वस्ल की रुत है कि जुदाई का है मौसम
वो कहते हैं कि 'राग़िब' तुम नहीं रखते ख़याल अपना
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ
पढ़ता रहता हूँ आप का चेहरा
इस शोख़ी-ए-गुफ़्तार पर आता है बहुत प्यार
क्या बताऊँ कि कितनी शिद्दत से