Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_45ea0ce347868b6e7738be8bacb45657, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद - इफ़्तिख़ार राग़िब कविता - Darsaal

फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद

फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद

गरचे हूँ सहमा हुआ बुनियाद हिल जाने के बाद

आप अब हम से हमारी ख़ैरियत मत पूछिए

आदमी ख़ुद का कहाँ रहता है दिल जाने के बाद

सख़्त-जानी की बदौलत अब भी हम हैं ताज़ा-दम

ख़ुश्क हो जाते हैं वर्ना पेड़ हिल जाने के बाद

ख़ौफ़ आता है बुलंदी की तरफ़ चढ़ते हुए

गुल का मुरझाना ही रह जाता है खिल जाने के बाद

फ़िक्र लाहक़ है हमेशा मिस्ल-ए-तुख़्म-ए-ना-तवाँ

हश्र क्या होगा दरून-ए-आब-ओ-गिल जाने के बाद

इस तरह हैरान हैं सब देख कर 'राग़िब' मुझे

जैसे कोई आ गया हो मुस्तक़िल जाने के बाद

(1016) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad In Hindi By Famous Poet Iftikhar Raghib. Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad is written by Iftikhar Raghib. Complete Poem Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad in Hindi by Iftikhar Raghib. Download free Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad Poem for Youth in PDF. Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad is a Poem on Inspiration for young students. Share Phir UThaya Jaunga MiTTi Mein Mil Jaane Ke Baad with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.