इफ़्तिख़ार राग़िब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्तिख़ार राग़िब
नाम | इफ़्तिख़ार राग़िब |
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अंग्रेज़ी नाम | Iftikhar Raghib |
जन्म की तारीख | 1973 |
जन्म स्थान | Bihar |
ये वस्ल की रुत है कि जुदाई का है मौसम
वो कहते हैं कि 'राग़िब' तुम नहीं रखते ख़याल अपना
तुम ने रस्मन मुझे सलाम किया
तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना
सख़्त-जानी की बदौलत अब भी हम हैं ताज़ा-दम
'राग़िब' वो मेरी फ़िक्र में ख़ुद को भी भूल जाएँ
राय उस पर मत करो क़ाएम कोई
पढ़ता रहता हूँ आप का चेहरा
ले जाए जहाँ चाहे हवा हम को उड़ा कर
क्या बताऊँ कि कितनी शिद्दत से
क्या बताऊँ दिल में किस की याद का
किस किस को बताऊँ कि मैं बुज़दिल नहीं 'राग़िब'
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
इस शोख़ी-ए-गुफ़्तार पर आता है बहुत प्यार
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो
एक मौसम की कसक है दिल में दफ़्न
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ मैं
दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
दिल में कुछ भी तो न रह जाएगा
चंद यादें हैं चंद सपने हैं
बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिल
वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है
तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं
तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना
फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद
मुज़्तरिब आप के बिना है जी
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो
हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ