Sad Poetry of Iftikhar Naseem
नाम | इफ़्तिख़ार नसीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Iftikhar Naseem |
जन्म की तारीख | 1946 |
मौत की तिथि | 2011 |
जी में ठानी है कि जीना है बहर-हाल मुझे
एक मुख़्तलिफ़ कहानी
तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी
सूरज नए बरस का मुझे जैसे डस गया
शाम से तन्हा खड़ा हूँ यास का पैकर हूँ मैं
सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर
न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना
मिरे नुक़ूश तिरे ज़ेहन से मिटा देगा
किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है
ख़ुद को हुजूम-ए-दहर में खोना पड़ा मुझे
जिला-वतन हूँ मिरा घर पुकारता है मुझे
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
हाथ लहराता रहा वो बैठ कर खिड़की के साथ
हाथ हाथों में न दे बात ही करता जाए
है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा
बन गया है जिस्म गुज़रे क़ाफ़िलों की गर्द सा