Ghazals of Iftikhar Naseem
नाम | इफ़्तिख़ार नसीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Iftikhar Naseem |
जन्म की तारीख | 1946 |
मौत की तिथि | 2011 |
यूँ है तिरी तलाश पे अब तक यक़ीं मुझे
वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी
तिरा है काम कमाँ में उसे लगाने तक
सूरज नए बरस का मुझे जैसे डस गया
शाम से तन्हा खड़ा हूँ यास का पैकर हूँ मैं
सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर
सराए छोड़ के वो फिर कभी नहीं आया
रात को बाहर अकेले घूमना अच्छा नहीं
नाम भी जिस का ज़बाँ पर था दुआओं की तरह
न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना
मिशअल-ए-उम्मीद थामो रहनुमा जैसा भी है
मिरे नुक़ूश तिरे ज़ेहन से मिटा देगा
किसी के हक़ में सही फ़ैसला हुआ तो है
ख़ुद को हुजूम-ए-दहर में खोना पड़ा मुझे
जिला-वतन हूँ मिरा घर पुकारता है मुझे
इस तरह सोई हैं आँखें जागते सपनों के साथ
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
हाथ लहराता रहा वो बैठ कर खिड़की के साथ
हाथ हाथों में न दे बात ही करता जाए
है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा
चाँद फिर तारों की उजली रेज़गारी दे गया
बन गया है जिस्म गुज़रे क़ाफ़िलों की गर्द सा
अपनी मजबूरी बताता रहा रो कर मुझ को
अपना सारा बोझ ज़मीं पर फेंक दिया