Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_71e635c7740ff8add82cffbab3e80b6a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार - इफ़्तिख़ार मुग़ल कविता - Darsaal

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

दोस्त होते हैं, हर इक यार नहीं होता यार

दो घड़ी बैठो मिरे पास, कहो कैसी हो

दो घड़ी बैठने से प्यार नहीं होता यार

यार! ये हिज्र का ग़म! इस से तो मौत अच्छी है

जाँ से यूँ ही कोई बेज़ार नहीं होता यार

रूह सुनती है मोहब्बत में बदन बोलते हैं

लफ़्ज़ पैराया-ए-इज़हार नहीं होता यार

नौकरी, शाइ'री, घर-बार, ज़माना, क़द्रें

इक मोहब्बत ही का आज़ार नहीं होता यार

ख़ुश-दिली और है और इश्क़ का आज़ार कुछ और

प्यार हो जाए तो इक़रार नहीं होता यार

लड़कियाँ लफ़्ज़ की तस्वीर छुपा लेती हैं

उन का इज़हार भी इज़हार नहीं होता यार

आदमी इश्क़ में भी ख़ुद से नहीं घट सकता

आदमी साया-ए-दीवार नहीं होता यार!!

घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन

जान कर कोई गिरफ़्तार नहीं होता यार

यही हम आप हैं हस्ती की कहानी, इस में

कोई अफ़्सानवी किरदार नहीं होता यार

(980) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar In Hindi By Famous Poet Iftikhar Mughal. Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar is written by Iftikhar Mughal. Complete Poem Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar in Hindi by Iftikhar Mughal. Download free Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar Poem for Youth in PDF. Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar is a Poem on Inspiration for young students. Share Rakh-rakhaw Mein Koi KHwar Nahin Hota Yar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.