इफ़्तिख़ार मुग़ल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इफ़्तिख़ार मुग़ल
नाम | इफ़्तिख़ार मुग़ल |
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अंग्रेज़ी नाम | Iftikhar Mughal |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Pakistan |
यही चराग़ है सब कुछ कि दिल कहें जिस को
तू मुझ से मेरे ज़मानों का पूछती है तो सुन!
सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हुआ दिया हूँ मैं
मोहब्बत और इबादत में फ़र्क़ तो है नाँ
मिरे वजूद के अंदर मुझे तलाश न कर
मैं तुम को ख़ुद से जुदा कर के किस तरह देखूँ
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
ख़ुदा! सिला दे दुआ का, मोहब्बतों के ख़ुदा
कई दिनों से मिरे साथ साथ चलती है
हम ने उस चेहरे को बाँधा नहीं महताब-मिसाल
घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन
इक ख़ला, एक ला-इंतिहा और मैं
अभी छुटी नहीं जन्नत की धूल पाँव से
आँख झपकी थी बस इक लम्हे को और इस के ब'अद
तुम्हें भी चाहा, ज़माने से भी वफ़ा की थी
सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हुआ दिया हूँ मैं
रुख़्सत-ए-यार का मज़मून ब-मुश्किल बाँधा
रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार
मैं भी बे-अंत हूँ और तू भी है गहरा सहरा
कोई वजूद है दुनिया में कोई परछाईं
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
कभी कभी तो ये हालत भी की मोहब्बत ने
जमाल-गाह-ए-तग़ज़्ज़ुल की ताब-ओ-तब तिरी याद
इक ख़ला, एक ला-इंतिहा और मैं