बिखर ही जाऊँगा मैं भी हवा उदासी है
बिखर ही जाऊँगा मैं भी हवा उदासी है
फ़ना-नसीब हर इक सिलसिला उदासी है
बिछड़ न जाए कहीं तू सफ़र अँधेरों में
तिरे बग़ैर हर इक रास्ता उदासी है
बता रहा है जो रस्ता ज़मीं दिशाओं को
हमारे घर का वो रौशन दिया उदासी है
उदास लम्हों ने कुछ और कर दिया है उदास
तिरे बग़ैर तो सारी फ़ज़ा उदासी है
कहीं ज़रूर ख़ुदा को मिरी ज़रूरत है
जो आ रही है फ़लक से सदा उदासी है
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