मलबे से जो मिली हैं वो लाशें दिखाइए
मलबे से जो मिली हैं वो लाशें दिखाइए
साहब नवादिरात की शक्लें दिखाइए
हम लोग बे-बसर हैं मगर बद-नज़र नहीं
ऐनक उतारिए हमें आँखें दिखाइए
दुनिया कमा के सो गए जो बे-चराग़ लोग
उन को मिरा ख़याल है क़ब्रें दिखाइए
जो देखने से बाज़ नहीं आ रहे उन्हें
महशर के दिन की आख़िरी किस्तें दिखाइए
मैं हूँ 'फ़लक' ग़ुलाम-ए-अली या-अली मदद
मुझ को मिरे इमाम सबीलें दिखाइए
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