वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ
वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ
सो अब फिर इक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा
(1844) Peoples Rate This
वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ
सो अब फिर इक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा
(1844) Peoples Rate This