Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a6e30762fa8cf8fb4f593aab5bceeb9e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
पुराने दुश्मन - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

पुराने दुश्मन

इक सूरज है जो शाम-ढले मुझे पुरसा देने आता है

उन फूलों का जो मेरे लहू में खिलने थे और खिले नहीं

उन लोगों का जो किसी मोड़ पर मिलने थे और मिले नहीं

इक ख़ुश्बू है जो बस्ती बस्ती मेरा पीछा करती है

और अपने जी की बात बताते डरती है

इक दरिया है जो जनम जनम की प्यास बुझाने आता है

और अँगारे बरसाता है

और ये सूरज और ये ख़ुश्बू और ये दरिया

मिरी आन-बान के बैरी हैं

सब मेरी जान के बैरी हैं

(901) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Purane Dushman In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Purane Dushman is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Purane Dushman in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Purane Dushman Poem for Youth in PDF. Purane Dushman is a Poem on Inspiration for young students. Share Purane Dushman with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.