Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1d6f03ba03c0d85e45bb904846a36e87, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मिरा ज़ेहन मुझ को रहा करे - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

मिरा ज़ेहन मुझ को रहा करे

मिरा ज़ेहन दिल का रफ़ीक़ है

मिरा दिल रफ़ीक़ है जिस्म का

मिरा जिस्म है मिरी आँख में

मिरी आँख उस के बदन में है

वो बदन कि बोसा-ए-आतिशीं में जला भी फिर भी हरा रहा

वो बदन कि लम्स की बारिशों में धुला भी फिर भी नया रहा

वो बदन की वस्ल के फ़ासले पे रहा भी फिर भी मिरा रहा

मुझे ए'तिराफ़! मिरे वजूद पे एक चराग़ का एक ख़्वाब का एक उमीद का क़र्ज़ है

मुझे ए'तिराफ़! कि मेरे नाख़ुन-ए-बे-हुनर पे हज़ार तरह के क़र्ज़ हैं

मिरा ज़ेहन मुझ को रिहा करे तो मैं सारे क़र्ज़ उतार दूँ

मिरी आँख मुझ से वफ़ा करे तो मैं जिस्म ओ जान पे वार दूँ

(845) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mera Zehn Mujhko Raha Kare In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Mera Zehn Mujhko Raha Kare is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Mera Zehn Mujhko Raha Kare in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Mera Zehn Mujhko Raha Kare Poem for Youth in PDF. Mera Zehn Mujhko Raha Kare is a Poem on Inspiration for young students. Share Mera Zehn Mujhko Raha Kare with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.