Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2891c4528dbce2e9b059e60a8853d157, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक ख़्वाब की दूरी पर - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

एक ख़्वाब की दूरी पर

इक ख़्वाहिश थी

कभी ऐसा हो

कभी ऐसा हो कि अंधेरे में

(जब दिल वहशत करता हो बहुत

जब ग़म शिद्दत करता हो बहुत)

कोई तीर चले

कोई तीर चले जो तराज़ू हो मिरे सीने में

इक ख़्वाहिश थी

कभी ऐसा हो

कभी ऐसा हो कि अंधेरे में

(जब नींदें कम होती हों बहुत

जब आँखें नम होती हों बहुत)

सर-ए-आईना कोई शम्अ जले

कोई शम्अ जले और बुझ जाए मगर अक्स रहे आईने में

इक ख़्वाहिश थी

वो ख़्वाहिश पूरी हो भी चुकी

दिल जैसे देरीना दुश्मन की साज़िश पूरी हो भी चुकी

और अब यूँ है

जीने और जीते रहने के बीच एक ख़्वाब की

दूरी है

वो दूरी ख़त्म नहीं होती

और ये दूरी सब ख़्वाब देखने वालों की मजबूरी है

मजबूरी ख़त्म नहीं होती

(1369) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek KHwab Ki Duri Par In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Ek KHwab Ki Duri Par is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Ek KHwab Ki Duri Par in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Ek KHwab Ki Duri Par Poem for Youth in PDF. Ek KHwab Ki Duri Par is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek KHwab Ki Duri Par with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.