Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_11df52024ec35da961ad4ec766ea3a67, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
और हवा चुप रही - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

और हवा चुप रही

शाख़-ए-ज़ैतून पर कम-सुख़न फ़ाख़्ताओं के इतने बसेरे उजाड़े गए

और हवा चुप रही

बे-कराँ आसमानों की पिहनाइयाँ बे-नशेमन शिकस्ता परों की तग-ओ-ताज़ पर बैन करती रहीं

और हवा चुप रही

ज़र्द परचम उड़ाता हुआ लश्कर-ए-बे-अमाँ गुल-ज़मीनों को पामाल करता रहा

और हवा चुप रही

आरज़ूमंद आँखें बशारत-तलब दिल दुआओं को उट्ठे हुए हाथ सब बे-समर रह गए

और हवा चुप रही

और तब हब्स के क़हरमाँ मौसमों के अज़ाब इन ज़मीनों पे भेजे गए

और मुनादी करा दी गई

जब कभी रंग की ख़ुशबुओं की उड़ानों की आवाज़ की और ख़्वाबों की तौहीन की जाएगी

ये अज़ाब इन ज़मीनों पे आते रहेंगे

(1125) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aur Hawa Chup Rahi In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Aur Hawa Chup Rahi is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Aur Hawa Chup Rahi in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Aur Hawa Chup Rahi Poem for Youth in PDF. Aur Hawa Chup Rahi is a Poem on Inspiration for young students. Share Aur Hawa Chup Rahi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.