Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1b6611b5bd3a3256ab9bb95820a0dcf4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी

वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी

मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी

लहू की आग में जल-बुझ गए बदन तो खुला

रसाई में भी ख़सारा है ना-रसाई में भी

बदलते रहते हैं मौसम गुज़रता रहता है वक़्त

मगर ये दिल कि वहीं का वहीं जुदाई में भी

लिहाज़-ए-हुर्मत-ए-पैमाँ न पास-ए-हम-ख़्वाबी

अजब तरह के तसादुम थे आश्नाई में भी

मैं दस बरस से किसी ख़्वाब के अज़ाब में हूँ

वही अज़ाब दर आया है इस दहाई में भी

तसादुम-ए-दिल-ओ-दुनिया में दिल की हार के बा'द

हिजाब आने लगा है ग़ज़ल-सराई में भी

मैं जा रहा हूँ अब उस की तरफ़ उसी की तरफ़

जो मेरे साथ था मेरी शिकस्ता-पाई में भी

(2301) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi Poem for Youth in PDF. Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Wafa Ki KHair Manata Hun Bewafai Mein Bhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.