Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c517e2083c575ed421545478d50ed3fe, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हिज्र की धूप में छाँव जैसी बातें करते हैं - इफ़्तिख़ार आरिफ़ कविता - Darsaal

हिज्र की धूप में छाँव जैसी बातें करते हैं

हिज्र की धूप में छाँव जैसी बातें करते हैं

आँसू भी तो माओं जैसी बातें करते हैं

रस्ता देखने वाली आँखों के अनहोने-ख़्वाब

प्यास में भी दरियाओं जैसी बातें करते हैं

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं

फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं

एक ज़रा सी जोत के बल पर अँधियारों से बैर

पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं

रंग से ख़ुशबुओं का नाता टूटता जाता है

फूल से लोग ख़िज़ाओं जैसी बातें करते हैं

हम ने चुप रहने का अहद क्या है और कम-ज़र्फ़

हम से सुख़न-आराओं जैसी बातें करते हैं

(1793) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain Poem for Youth in PDF. Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Hijr Ki Dhup Mein Chhanw Jaisi Baaten Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.