Heart Broken Poetry of Iftikhar Arif
नाम | इफ़्तिख़ार आरिफ़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Iftikhar Arif |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Islamabad |
ये रौशनी के तआक़ुब में भागता हुआ दिन
यही लौ थी कि उलझती रही हर रात के साथ
यही लहजा था कि मेआर-ए-सुख़न ठहरा था
वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
तमाशा करने वालों को ख़बर दी जा चुकी है
शिकम की आग लिए फिर रही है शहर-ब-शहर
समुंदर के किनारे एक बस्ती रो रही है
करें तो किस से करें ना-रसाइयों का गिला
कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं
हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
हर नई नस्ल को इक ताज़ा मदीने की तलाश
घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ
इक ख़्वाब ही तो था जो फ़रामोश हो गया
डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में
अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोई
यक़ीन से यादों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता
शिकस्त
शहर इल्म के दरवाज़े पर
सहरा में एक शाम
पस च-बायद-कर्द
मोहब्बत की एक नज़्म
कुछ देर पहले नींद से
कूच
इंतिबाह
हवाएँ अन-पढ़ हैं
गुमनाम सिपाही की क़ब्र पर
एलान नामा
एक उदास शाम के नाम