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नाकामी - इफ़्तिख़ार आज़मी कविता - Darsaal

नाकामी

बंद आँखें किए सर-ए-साहिल

कल सहर-दम ये सोचता था मैं

नींद की गोद में ज़माना है, बेड़ियाँ तोड़ दूँ, निकल जाऊँ

वादी-ए-हू में जा के खो जाऊँ

दफ़अतन एक मौज ने बढ़ कर

अपना सर मेरे पाँव पर रक्खा

और कहा

देख चश्म-ए-दिल से देख

नील-गूँ बहर कितना दिलकश है

है ज़मीं किस क़दर हसीन-ओ-जमील

आसमाँ कितना ख़ूब-सूरत है

लेकिन ऐ शाहकार-ए-दस्त-ए-अज़ल जिस तरफ़ का तिरा इरादा है

क्या पता वो दयार कैसा है

ये फ़ज़ा ये हवा ये हुस्न तुझे

क्या ख़बर है, वहाँ मिले न मिले?

और यूँ बंद हो गईं मुझ पर हर तरफ़ से फ़रार की राहें!

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Nakaami In Hindi By Famous Poet Iftikhar Aazmi. Nakaami is written by Iftikhar Aazmi. Complete Poem Nakaami in Hindi by Iftikhar Aazmi. Download free Nakaami Poem for Youth in PDF. Nakaami is a Poem on Inspiration for young students. Share Nakaami with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.