Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c7d29327c35e8c4eb16450fb3e7d0f62, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रब्त असीरों को अभी उस गुल-ए-तर से कम है - इदरीस बाबर कविता - Darsaal

रब्त असीरों को अभी उस गुल-ए-तर से कम है

रब्त असीरों को अभी उस गुल-ए-तर से कम है

एक रख़्ना सा है दीवार में दर से कम है

हर्फ़ की लौ मैं उधर और बढ़ा देता हूँ

आप बतलाएँ तो ये ख़्वाब जिधर से कम है

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत

फिर भी ऐ दोस्त तिरी एक नज़र से कम है

सोच लो मैं भी हुआ चुप तो गिराँ गुज़रेगा

ये अँधेरा जो मिरे शोर ओ शरर से कम है

वो बुझा जाए तो ये दिल को जला दे फिर से

शाम ही कौन सी राहत में सहर से कम है

ख़ाक इतनी न उड़ाएँ तो हमें भी 'बाबर'

दश्त अच्छा है कि वीरानी में घर से कम है

(834) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai In Hindi By Famous Poet Idris Babar. Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai is written by Idris Babar. Complete Poem Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai in Hindi by Idris Babar. Download free Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai Poem for Youth in PDF. Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Rabt Asiron Ko Abhi Us Gul-e-tar Se Kam Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.