Friendship Poetry of Idris Babar
नाम | इदरीस बाबर |
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अंग्रेज़ी नाम | Idris Babar |
जन्म की तारीख | 1973 |
जन्म स्थान | Pakistan |
तमाम दोस्त अलाव के गिर्द जम्अ थे और
मैं जानता हूँ ये मुमकिन नहीं मगर ऐ दोस्त
हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत
हाँ ऐ गुबार-ए-आश्ना मैं भी था हम-सफ़र तिरा
वो गुल वो ख़्वाब-शार भी नहीं रहा
सो दुनिया में जीना बसना दिल को मरने मत देना
रब्त असीरों को अभी उस गुल-ए-तर से कम है
मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है
मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था
किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है
ख़मोश रह के ज़वाल-ए-सुख़न का ग़म किए जाएँ
इस से फूलों वाले भी आजिज़ आ गए हैं
इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ
इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ
गुल-ए-सुख़न से अँधेरों में ताब-कारी कर
दोस्त कुछ और भी हैं तेरे अलावा मिरे दोस्त
देख न इस तरह गुज़ार अर्सा-ए-चश्म से मुझे