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हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए - इबरत मछलीशहरी कविता - Darsaal

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

कि मोड़ होते हैं हर राह हर गली के लिए

न कोई मेरे लिए है न मैं किसी के लिए

बस एक लफ़्ज़-ए-नदामत हूँ ज़िंदगी के लिए

वो तितलियों की तरह मुझ से और दूर हुआ

बढ़ाया जिस की तरफ़ हाथ दोस्ती के लिए

ये उज़्व उज़्व मिरा प्यास से सुलगता है

मुझे लहू की ज़रूरत है तिश्नगी के लिए

अब इस से बढ़ के मिरा इम्तिहान क्या होगा

मैं ज़हर पी के जिया हूँ तिरी ख़ुशी के लिए

जो हो सके तो ख़ुद अश्कों को पोंछ लो 'इबरत'

किसी के पास कहाँ वक़्त दिल-दही के लिए

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