Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9b9b0575cbe0e2b5aa5d1bc8583a9f2d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सुकूँ-परवर है जज़्बाती नहीं है - इबरत बहराईची कविता - Darsaal

सुकूँ-परवर है जज़्बाती नहीं है

सुकूँ-परवर है जज़्बाती नहीं है

मिरा हमदम ख़ुराफ़ाती नहीं है

जो करता था चराग़ाँ सब के घर में

उसी के घर दिया-बाती नहीं है

मिरा महबूब है महबूब-ए-कामिल

मिरा महबूब जज़्बाती नहीं है

तअल्लुक़ रख के भी है बे-तअल्लुक़

समझ में बात ये आती नहीं है

जिसे रास आ गई उज़्लत-नशीनी

तबीअ'त उस की घबराती नहीं है

पशेमानी है वो तेरे जुनूँ की

मिरे घर आ के जो जाती नहीं है

उसी ग़म में सदा रहता हूँ हमदम

तिरा जज़्बा इनायाती नहीं है

मुझे 'इबरत' ख़ुशी इस बात की है

तिरा मस्लक रिवायाती नहीं है

(793) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai In Hindi By Famous Poet Ibrat Bahraichi. Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai is written by Ibrat Bahraichi. Complete Poem Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai in Hindi by Ibrat Bahraichi. Download free Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai Poem for Youth in PDF. Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Sukun-parwar Hai Jazbaati Nahin Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.