Heart Broken Poetry of Ibrahim Ashk
नाम | इब्राहीम अश्क |
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अंग्रेज़ी नाम | Ibrahim Ashk |
जन्म की तारीख | 1951 |
ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है
ज़िंदगी अपनी मुसलसल चाहतों का इक सफ़र
नाम को भी न किसी आँख से आँसू निकला
ख़ुद अपने आप से लेना था इंतिक़ाम मुझे
चले गए तो पुकारेगी हर सदा हम को
ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है
उस की इक दुनिया हूँ मैं और मेरी इक दुनिया है वो
तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे
शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या
रू-ब-रू उन के कोई हर्फ़ अदा क्या करते
न कू-ए-यार में ठहरा न अंजुमन में रहा
मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो
मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ
मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था
मैं कब रहीन-ए-रेग-ए-बयाबान-ए-यास था
लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो
गुलशन में ले के चल किसी सहरा में ले के चल
ग़ज़ल हो गई जब भी सोचा तुम्हें
अना ने टूट के कुछ फ़ैसला किया ही नहीं