दरिया में है सराब अजब इब्तिला में हूँ

दरिया में है सराब अजब इब्तिला में हूँ

मैं भी हुसैन ही की तरह कर्बला में हूँ

टिकते नहीं कहीं भी क़दम आरज़ूओं के

फेंका है जब से तेरी ज़मीं ने ख़ला में हूँ

आवाज़ कब से देता था हिर्मां-नसीब दिल

अब आई है तो ग़र्क़ नशात-ए-बला में हूँ

क्या फ़र्ज़ है कि ईसा-ओ-मरियम दिखाई दे

मस्लूब दर्द चीख़े कि मैं इब्तिला में हूँ

हर लहज़ा इंहिदाम का है ख़ौफ़ मुझ को 'होश'

मैं इस दयार-ए-शोर-ओ-शर-ए-ज़लज़ला में हूँ

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Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun In Hindi By Famous Poet Ibraheem Hosh. Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun is written by Ibraheem Hosh. Complete Poem Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun in Hindi by Ibraheem Hosh. Download free Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun Poem for Youth in PDF. Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Dariya Mein Hai Sarab Ajab Ibtila Mein Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.