ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म
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ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म
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