ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म
(1397) Peoples Rate This
ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म
(1397) Peoples Rate This