कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ
कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ
मेरे दुश्मन ही कहलाओ
दिल सा खिलौना हाथ आया है
खेलो तोड़ो जी बहलाओ
कल अग़्यार में बैठे थे तुम
हाँ हाँ कोई बात बनाओ
कौन है हम सा चाहने वाला
इतना भी अब दिल न दुखाओ
हुस्न था जब मस्तूर हया में
इश्क़ था ख़ून-ए-दिल का रचाओ
हुस्न बना जब बहती गंगा
इश्क़ हुआ काग़ज़ की नाव
शब भर कितनी रातें गुज़रीं
हज़रत-ए-दिल अब होश में आओ
(1284) Peoples Rate This