Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_17783bcbba6a3752e7a5e07eb41cb888, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम से मिलते थे सितारे आप के - इब्न-ए-मुफ़्ती कविता - Darsaal

हम से मिलते थे सितारे आप के

हम से मिलते थे सितारे आप के

फिर भी खो बैठे सहारे आप के

कैसा जादू है समझ आता नहीं

नींद मेरी ख़्वाब सारे आप के

हम से शायद मो'तबर ठहरी सबा

जिस ने ये गेसू सँवारे आप के

आप की नज़र-ए-करम के मुंतज़िर

कब से बैठे हैं द्वारे आप के

कोई उस की आँख को भाएगा क्यूँ

जिस ने देखे हों नज़ारे आप के

बिन तिरे साँसें भी अब चलती नहीं

हर घड़ी चाहें, इशारे आप के

मुस्कुरा कर देखिए तो एक बार

कहकशाँ, ये चाँद तारे आप के

झूट है 'मुफ़्ती' भुला बैठे हो सब

क्यूँ थे पलकों पर सितारे आप के

(833) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Humse Milte The Sitare Aap Ke In Hindi By Famous Poet Ibn-e-Mufti. Humse Milte The Sitare Aap Ke is written by Ibn-e-Mufti. Complete Poem Humse Milte The Sitare Aap Ke in Hindi by Ibn-e-Mufti. Download free Humse Milte The Sitare Aap Ke Poem for Youth in PDF. Humse Milte The Sitare Aap Ke is a Poem on Inspiration for young students. Share Humse Milte The Sitare Aap Ke with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.