हक़ अच्छा पर उस के लिए कोई और मिरे तो और अच्छा
तुम भी कोई मंसूर हो जो सूली पे चढ़ो ख़ामोश रहो
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2461) Peoples Rate This
किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे
यूँही तो नहीं दश्त में पहुँचे यूँही तो नहीं जोग लिया
हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता
'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या
दिल-आशोब
बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
लब पर नाम किसी का भी हो
हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे
फ़र्ज़ करो
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्त
बेकल बेकल रहते हो पर महफ़िल के आदाब के साथ