Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6970889ec4d1aa70bdeb149b5e1bd70d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कल हम ने सपना देखा है - इब्न-ए-इंशा कविता - Darsaal

कल हम ने सपना देखा है

कल हम ने सपना देखा है

जो अपना हो नहीं सकता है

उस शख़्स को अपना देखा है

वो शख़्स कि जिस की ख़ातिर हम

इस देस फिरें उस देस फिरें

जोगी का बना कर भेस फिरें

चाहत के निराले गीत लिखें

जी मोहने वाले गीत लिखें

धरती के महकते बाग़ों से

कलियों की झोली भर लाएँ

अम्बर के सजीले मंडल से

तारों की डोली भर लाएँ

हाँ किस के लिए सब उस के लिए

वो जिस के लब पर टेसू हैं

वो जिस के नैनाँ आहू हैं

जो ख़ार भी है और ख़ुश्बू भी

जो दर्द भी है और दारू भी

वो अल्लहड़ सी वो चंचल सी

वो शायर सी वो पागल सी

लोग आप-ही-आप समझ जाएँ

हम नाम न उस का बतलाएँ

ऐ देखने वालो तुम ने भी

उस नार की पीत की आँचों में

इस दिल का तीना देखा है?

कल हम ने सपना देखा है

(1077) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kal Humne Sapna Dekha Hai In Hindi By Famous Poet Ibn E Insha. Kal Humne Sapna Dekha Hai is written by Ibn E Insha. Complete Poem Kal Humne Sapna Dekha Hai in Hindi by Ibn E Insha. Download free Kal Humne Sapna Dekha Hai Poem for Youth in PDF. Kal Humne Sapna Dekha Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Kal Humne Sapna Dekha Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.