Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f1c9ce8b862f7b027f44ada9c231110a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा - इब्न-ए-इंशा कविता - Darsaal

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा

वो शहर वो कूचा वो मकाँ याद रहेगा

वो टीस कि उभरी थी इधर याद रहेगी

वो दर्द कि उट्ठा था यहाँ याद रहेगा

हम शौक़ के शोले की लपक भूल भी जाएँ

वो शम-ए-फ़सुर्दा का धुआँ याद रहेगा

हाँ बज़्म-ए-शबाना में हमा-शौक़ जो उस दिन

हम थे तिरी जानिब निगराँ याद रहेगा

कुछ 'मीर' के अबयात थे कुछ 'फ़ैज़' के मिसरे

इक दर्द का था जिन में बयाँ याद रहेगा

आँखों में सुलगती हुई वहशत के जिलौ में

वो हैरत ओ हसरत का जहाँ याद रहेगा

जाँ-बख़्श सी उस बर्ग-ए-गुल-ए-तर की तरावत

वो लम्स-ए-अज़ीज़-ए-दो-जहाँ याद रहेगा

हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे

तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा

(1463) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega In Hindi By Famous Poet Ibn E Insha. Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega is written by Ibn E Insha. Complete Poem Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega in Hindi by Ibn E Insha. Download free Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega Poem for Youth in PDF. Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega is a Poem on Inspiration for young students. Share Us Sham Wo RuKHsat Ka Saman Yaad Rahega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.