हुसैन ताज रिज़वी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हुसैन ताज रिज़वी
नाम | हुसैन ताज रिज़वी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Husain Taj Rizvi |
उलझनें इतनी थीं मंज़र और पस-मंज़र के बीच
सुबूत-ए-जुर्म न मिलने का फिर बहाना किया
सब मुतमइन थे सुब्ह का अख़बार देख कर
फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो
मैं उस की आँख में वो मेरे दिल की सैर में था
माहौल से जैसे कि घुटन होने लगी है
जब झूट रावियों के क़लम बोलने लगे
इस हाल में जीते हो तो मर क्यूँ नहीं जाते
है मेरे गिर्द यक़ीनन कहीं हिसार सा कुछ
ढली जो शाम नज़र से उतर गया सूरज