वो ताज है सर पर कि दबा जाता हूँ
वो ताज है सर पर कि दबा जाता हूँ
किस राख में खोया सा चला जाता हूँ
लम्हात के झोंको न सताओ इतना
महसूस ये होता है बुझा जाता हूँ
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वो ताज है सर पर कि दबा जाता हूँ
किस राख में खोया सा चला जाता हूँ
लम्हात के झोंको न सताओ इतना
महसूस ये होता है बुझा जाता हूँ
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