उस के सिवा क्या अपनी दौलत
उस के सिवा क्या अपनी दौलत
सोज़-ए-तमन्ना दर्द-ए-बसीरत
अपने अलावा कौन मिलेगा
किस से करने जाएँ अदावत
सिक्कों का बाज़ार है दुनिया
मिलती क्या एहसास की क़ीमत
नाख़ुन-ए-दौराँ और ग़ज़ब था
भरता भी क्या ज़ख़्म-ए-फ़रासत
हर धड़कन अफ़्साना बन कर
खोल रही है दिल की हक़ीक़त
ज़ख़्मों फूलों की ये दुनिया
दिल का जहन्नुम आँख की जन्नत
कितने तजरबे एक तमन्ना
कितने ख़्वाब और एक मोहब्बत
बुत-कदा-ए-फ़न तेरी ख़ातिर
गढ़ता हूँ तख़्ईल की मूरत
करते 'हुर्मत' की ग़म-ख़्वारी
ग़म ने कहाँ दी इतनी मोहलत
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